में और मेरे अहसास - 127

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जलन को छोड़ दो जलन को छोड़ दो खुद की मस्ती में जीओ l खुशियाँ बांटो और खुशियों के जाम पीओ ll   यहाँ कौन से हमेशा के लिए आए हैं तो सुनो l शान से जिन्दगी जीयो किसीसे भी ना बीओ ll    सुख और दुख का विषचक्र है जिन्दगी तो l दर्द का दामन प्यार के तबस्सुम से सीओ ll    कल किसने देखा है नादान भोले सनम l जो भी करना चाहो बस आज़ ही कीओ ll    जहाँ में दिल फेंक होते है इश्क़ वाले कि l  मुकम्मल सोच समझकर दिल को दीओ ll  १६-५-२०२५