समंदर की लहरों पर एक प्राचीन रहस्य: कौडिन्य का पुनर्जन्म और आकाश-चित्रक का जादूआज से लगभग दो हज़ार साल पहले की बात है... नहीं-नहीं, आज से नहीं, बल्कि कल्पना कीजिए कि हम एक ऐसी दुनिया में हैं जहाँ समय थोड़ा अलग चलता है। जहाँ भृगुकच्छ (आज का भरूच) बंदरगाह, अपने पूरे शबाब पर है, और जहाँ ज्ञान सिर्फ़ किताबों में नहीं, बल्कि तारों में, लहरों में और मिट्टी के कणों में भी छुपा है।भृगुकच्छ के तट पर, सुबह की पहली किरणें धरती को छू रही थीं। हवा में नमक की और ताज़ा लकड़ी की खुशबू घुली हुई थी। घाट पर,