इत्तेफाक़-ए-मोहब्बत

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"क्या तुम्हें इत्तेफ़ाक़ पर यक़ीन है?"आयत की ये बात आरव को उस शाम की तरह आज भी याद थी, जब बारिश हल्की-हल्की हो रही थी और दोनों कैंपस के बाहर चाय की दुकान पर बैठे थे।आरव, दिल्ली यूनिवर्सिटी का आखिरी साल का स्टूडेंट था — स्मार्ट, लेकिन थोड़ा चुपचाप। आयत, लखनऊ से आई एक कवियित्री जैसी लड़की, जिसकी आंखों में कहानियाँ थीं और लफ़्ज़ों में बारिश की खनक।उनकी पहली मुलाक़ात भी इत्तेफ़ाक़ ही थी।कॉलेज के फेस्ट में आयत की ग़ज़ल सुनकर आरव कुछ देर तक ठहरा रहा। जब तक लोग तालियाँ बजा रहे थे, उसकी आंखें बस उस लड़क