(सूर्यास्त का समय है, सूरज पूर्व से पश्चिम की यात्रा पूरी कर चुका है। अपनी इस यात्रा में उसने अनगिनत कहानियों की शुरुआत होते देखी होगी और कई कथाओं का अंत भी उसने देखा होगा। वह हर एक पल में रोया भी होगा और हर क्षण में हँसा भी होगा। यह उसका रोज़ का काम था। परंतु आज वही सूरज निराश होकर ढल गया था और चाँद को भी आने से मना कर दिया था। कौन जाने, शायद आज उसे किसी कहानी का अंत पसंद नहीं आया हो या राम जाने, उसने चाँद को भी साफ़ मना कर दिया था।) रात