सुबह के साढ़े नौ बजे होंगे। अस्पताल का माहौल रोज़ की तरह तेज़ और व्यस्त था, लेकिन डॉक्टर मयूर के मन में एक बेचैनी थी। वो सीधे अपने कैबिन की ओर बढ़े। कैबिन में दाखिल होते ही उन्होंने इधर-उधर देखा, मगर वहाँ कोई नहीं था।"रुशाली..." उन्होंने धीरे से पुकारा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।कुर्सी पर बैठते ही उन्होंने अपना मोबाइल निकाला और रुशाली को कॉल लगाया। तभी उनकी नज़र पड़ी — रुशाली का फोन वहीं टेबल पर रखा हुआ था। उन्होंने फोन की स्क्रीन को देखा, और फिर उनकी नज़र उस नाम पर टिक गई जिससे उनका नंबर सेव था