पहली बार तलवार धारण करते हुए नवयुवक कहता है कि तलवार की धातु (लोहा) अवश्य फ्रांस की है, परन्तु इसकी धार मेरी अपनी है। सोलह वर्ष की आयु में वह उप-सेनापति बना तथा अपनी मृत्यु से पहले उसने कई बार शौर्य व साहस के प्रदर्शन के फलस्वरूप मिलने वाले अलकरणों व पदकों से अपनी वर्दी को सुशोभित किया। उसने सेनापति के पद की परीक्षा कैडेट्स स्कूल पेरिस से एक साल की अल्प अवधि में उत्तीर्ण कर ली। इस अवधि में उसने पुस्तकों के अध्ययन करने में ठीक वैसी ही तल्लीनता दिखायी, जैसी वह ब्राइनी के विद्यालय में दिखाता था। स्पार्टा