"अलविदा मेरी रूह”(श्रिशय और श्रिनिका की प्रेम कहानी का अंतिम अध्याय)“कुछ कहानियाँ मुकम्मल हो जाती हैं,लेकिन कुछ… टूटे दिल के साथ सदा के लिए दिल में बस जाती हैं।”उस दिन जब उसने अपना हाथ मेरी हथेली में रखकर कहा था – "अब कभी मत जाना…", तो लगा था ज़िंदगी ने मुझे वो सब दे दिया है जिसकी चाह हर प्रेमी को होती है।IIT रुड़की की गलियों से शुरू हुई हमारी कहानी अब ज़िंदगी की राहों पर साथ चलने लगी थी।दोनों ने करियर में स्थिरता पाई, और फिर दो साल की मेहनत के बाद, दोनों परिवारों को मना भी लिया।हमने साथ में घर