तेरी मेरी खामोशियां। - 12

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सानिया के जाने के बाद, कमरे में फिर से वही ख़ामोशी लौट आई थी…लेकिन इस बार वो ख़ामोशी डर की नहीं, सोच की थी।नायरा वहीं बैठी, बहुत देर तक उसी शख़्स को देखती रही—जो अब उसका पति था।एक अजनबी… मगर फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे कहीं न कहीं उसका अपना सा है।वो उठी, धीमे क़दमों से सामने रखे सूटकेस की तरफ़ बढ़ी,सामान निकाला, कपड़े बदले… फिर वुज़ू करके नमाज़ पढ़ी।उसके बाद, वो आईने के सामने खड़ी थी।अपने लंबे बालों को तौलिए से पोंछती हुई, फिर कभी दाएँ, कभी बाएँ झटकती…जल्दी-जल्दी बाल सुखाने की कोशिश कर रही थी।मगर इस