"मैं पंछी तेरे आँगन की" एक अत्यंत भावनात्मक रचना है, जो एक बेटी की अंतरात्मा से निकली उस गूंज को स्वर देती है, जिसे वह अपने दिल में छुपाकर विदा होती है। यह कविता केवल कुछ शब्दों का क्रम नहीं, बल्कि उस पूरी यात्रा का प्रतीक है जो एक बेटी अपने मायके से ससुराल तक तय करती है — एक ऐसा पड़ाव, जहाँ वह बचपन को पीछे छोड़कर नए जीवन की ओर उड़ान भरती है, लेकिन उस उड़ान में भी आँगन की मिट्टी की महक, माँ की गोद की ऊष्मा, और पिता की चुप्पी में छुपा प्यार उसके साथ रहता