बारिश की बूँदें खिड़की के शीशे पर धीमे-धीमे दस्तक दे रही थीं। कैंटीन के कोने की टेबल पर बैठी अनन्या चाय के कप को दोनों हथेलियों से थामे बाहर देख रही थी। बाहर का मौसम भी शायद उसके मन की तरह भीगा-बिखरा सा था।"हर बारिश में तू उसे ही क्यों ढूंढती है?" उसकी सहेली सिमी ने पूछा।अनन्या ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, “क्योंकि पहली बार वो भी तो इसी मौसम में मिला था…”दो साल पहले की बात है।कॉलेज का लाइब्रेरी कॉर्नर।किताबों के बीच उसकी नज़रें एक उपन्यास ढूंढ रही थीं—‘Love in the Rain’। और तभी वही आवाज़—“Excuse me,