MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 6

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Chapter 6: फासलों में छुपा एहसास   नई ज़िन्दगी जी रही थी — प्रोफेशनल, तेज़ और चकाचौंध से भरी। दिन भर शूट्स, इवेंट्स और मीटिंग्स में बीतता और रात को होटल के रूम में अकेलेपन की चुप्पी छा जाती। आरव की दी हुई डायरी का वो पन्ना अब उसकी ताक़त बन चुका था। जब भी थक जाती, या खुद से उलझ जाती, तो वो चुपचाप उस लाइन को पढ़ती — “मैं यहीं हूँ, हमेशा के लिए।” आरव, वहीं मुंबई में, अब और भी गहरे अपने लेखन में उतर गया था। उसने एक नई स्क्रिप्ट पर काम शुरू कर दिया था