कागज़ का फूल

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"कागज़ का फूल"2025 की एक नम शाम, दिल्ली के एक पुराने मोहल्ले में, जहाँ नीम के पेड़ों की छाँव और पुरानी हवेलियों की दीवारें अभी भी समय को थामे हुए थीं, अनन्या अपनी दादी के साथ बैठी थी। बाहर बारिश की बूँदें खिड़की पर टपक रही थीं, और कमरे में चाय की भाप के साथ पुरानी लकड़ी की अलमारी की खुशबू घुल रही थी। अनन्या की दादी, 78 साल की शांति देवी, अपनी पसंदीदा मलमल की साड़ी में लिपटी, रॉकिंग चेयर पर धीरे-धीरे झूल रही थीं। उनके चेहरे पर उम्र की लकीरें थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक चमक थी,