बालों के लिए राम-बाण

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बालों के लिए राम-बाण भारती व सुनीता मैदान में सैर कर रहे है ।भारती,सुनीता व आस -पास की महिलाओं के साथ शाम को सैर करने जाती थी । इसी समय खिल - खिला कर हँसती , अपना सुख-दुख साझा करती । और हाँ, थोड़ी चुगलियाँ भी कर लेती ।मानो सबको यहाँ आकर फिर बच्चे बनाने का मौका मिलता।इस समय का सब सुबह से इंतज़ार करती थी।कुछ समय में ना घर व बच्चों की चिंता।बच्चे भी आँखों के सामने खेलते रहते ।तो ये सब मस्त रहते। भारती - अरे, सुनीता तुम्हारे बाल तो दिया के होने के बाद कितने पतले हो गये थे