तू ही मेरी आशिकी - 3

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सुबह की हल्की सी ठंडी हवा कमरे में घुसकर पर्दों को झकझोर रही थी, और सूरज की किरणें धीरे-धीरे खिड़की से अंदर आकर मारिया के चेहरे पर पड़ रही थीं। वह धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलती है, आँखों में हल्की सी नींद और चेहरे पर रात की थकान। बिस्तर से उठते हुए उसने अपने बालों को झटकते हुए कमरे की ओर देखा। कमरे में सुकून था, कुछ पल पहले की घटनाएँ अब भी उसके मन में घूम रही थीं।वह हमेशा से अपनी छोटी सी दुनिया में जीने वाली लड़की थी। घर में नानी की देखभाल, खुद का काम और फिर गाना