अनश्वर सम्राट: कालचक्र का पुकार - 4

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शिवशिला पर जो हुआ था, वो अब केवल एक रहस्य नहीं था — वो एक भविष्य का उद्घोष था।गुरुकुल के आचार्य, ध्यानियों और शिष्यवर्ग के भीतर एक अनजानी घबराहट समा गई थी।गुरु वसिष्ठ अकेले नहीं रह गए। वरिष्ठतम गुरु — अचिन्त्य ऋषि, जो 200 वर्षों से ध्यानस्थ थे — उन्होंने भी अपनी समाधि भंग की।“शिवशिला ने इतने वर्षों बाद स्वयं ऊर्जा छोड़ी… और वो भी किसी बालक के कारण?”वसिष्ठ बोले — “वो बालक नहीं है… वो बीज है। अग्निबीज।”अग्निबीज — एक ऐसा शब्द जो केवल प्राचीन पांडुलिपियों में मिलता था।उसका अर्थ था: वह आत्मा जो समय के नियमों को झुका