कुछ दिन बाद.....सुबह की नर्म किरणों ने जैसे ही खिड़की से झाँककर कमरे को छुआ, एक हल्की सी गर्माहट कमरे में फैल गई। रुशाली आज कुछ जल्दी जाग गई थी। अलार्म की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। बीते दिनों के अनुभव ने उसे भीतर से एक अलग ही ऊर्जा दे दी थी—एक अनकहा आत्मविश्वास, जो उसके चेहरे पर झलक रहा था।"आज का दिन बेहतर होगा," उसने खुद से कहा और आईने में खुद को देखा। उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी और आंखों में उम्मीद की चमक।जल्दी तैयार होकर वो हॉस्पिटल पहुंची। रिसेप्शन से कुछ फाइल्स लेनी थीं, कुछ पेपर्स क्लासिफाई