10 आंख न बंद हो जाए, इसलिए हरदम जगती रहती है। उसे डर रहता था कि जो आंख बंद हो गई तो फिर सुबह न हो पाएगी। बस, यही फिक्र कि वजह से मीरा इंतजार कर रही थी। उसको एक हसीन सपना की तरह आनेवाला वक्त उस दो पल के लिए जिंदा रख रहा था। फिर मीरा वही अपनी पुरानी स्मरण में चली जाती है। मीरा श्याम के करीब 5 या 6 बजे के आसपास अपनी नींद से जगती है। आंख खुलते ही अचानक से लेटर याद आ जाता है। फिर घड़ी के सामने देखती है। जल्दी