सनातन धर्म में कर्म आधारित जन्म जीवन का अतीत और भविष्य

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अक्सर गाँव में मैंने अपने बाल्य काल में देखा है अनुभव किया है वास्तविकता का अंवेषण किया है  जिसके परिणाम मैंने पाया कि ज़ब कोई जातक (बच्चा ) जन्म लेता है तो सबसे पहले माता को उसके स्वर सुनने कि जिज्ञासा होती है नवजात ज़ब रुदन करता है तो माँ के साथ परिजन भी प्रसन्न होते है जिसका  स्पष्ट अर्थ यही है कि जन्म लेने वाले जातक ने जीवन में प्रवेश कर लिया है! ज़ब जातक दस बार बारह दिन बाद ज़ब जातक अपने जीवन के रिश्ते समाज से प्रत्यक्ष होता है जैसे पिता भाई बहन चाचा आदि तब उसके सभी रिश्ते