रक्ताचार्य ने जैसे ही कुछ मंत्र उच्चारण करते हुए हल्के से एक धारदार तलवार उस युवती के एक हाथ तक ले जाकर अचानक उसके हाथ को तलवार के सहारे आगे की तरफ करते हुए उसकी कलाई पर तेजी से प्रहार किया । जिससे उस युवती के एक तेज चीख के साथ रक्त की पहली बूँद उस यज्ञ कुंड में जा गिरी और इतने में उस पूरे तहखाने में जैसे हलचल मच गई थी। हवा अचानक ठंडी और भारी हो गई थी। रक्ताचार्य गहरी आवाज में मंत्र पढ़ते हुए बोला- "देवी चंडिका, इस पवित्र रक्त को स्वीकार करो। इस रक्त के माध्यम