"टूटे हुए दिलों का अस्पताल" – फाइनल एपिसोड 02रात का सन्नाटा अस्पताल में अजीब सी बेचैनी भर रहा था। ऑपरेशन थिएटर की लाल बत्ती जल रही थी, और बाहर खड़े करण, सिया, और बाकी सभी लोगों की आँखों में डर था। अंदर डॉक्टर आदित्य को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। हर सेकंड भारी था, हर धड़कन किसी चमत्कार की आस में थी।भावेश का खेल खत्म?दूसरी तरफ, भावेश अब भी अपनी जीत के नशे में था। पुलिस अस्पताल के बाहर थी, लेकिन भावेश के आदमी हर तरफ फैले थे। उसने एक बार फिर अस्पताल पर कब्जा जमाने की ठानी