92=== नीचे बड़े गार्डन के पंडाल में मेज़-कुर्सियों का इंतजाम भी था और दूसरी ओर फूलों से घिरे खाली स्थान पर डाइनिंग टेबल पर स्वच्छ श्वेत चादरों से ढकी मेज़ों पर सादी कटलरी सजा दी गई थी| आशी ऊपर से ही सब ओर दृष्टि घुमाती और एक निराश आह उसके मुँह से निकलकर वातावरण में समा जाती| अभी वह नीचे भी नहीं जाना चाहती थी| नौ बजे मौन का समय था और दस बजे से यज्ञ आदि का कार्यक्रम् ! फिर पुस्तक लोकार्पण, जो वह मनु और अनन्या से करवाना चाहती थी लेकिन वहाँ तो वे लोग थे ही नहीं!