तेज़ कदमों से पुलिस स्टेशन में घुसते ही डीसी हर्षवर्धन ठकराल की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। वह लंबे समय के बाद इस थाने का दौरा कर रहे थे। उनके कदमों की आवाज़ जैसे ही थाने की दीवारों से टकराई, वैसे ही वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की धड़कनें तेज़ हो गईं। कोई कुर्सी से उठकर सीधे खड़ा हो गया, तो कोई हड़बड़ाहट में ताश के पत्तों को झट से समेटने लगा।थाने का हाल बेहाल था। किसी को यह अंदाज़ा नहीं था कि डीसी ठकराल आज अचानक यहां आ धमकेंगे। जो पुलिसकर्मी ड्यूटी पर होने चाहिए थे, वे आराम फरमा