तेरी मेरी खामोशियां। - 2

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शाम का वक़्त...कॉलेज से लौटने से पहले नायरा अपनी सहेली निम्मी के साथ लाइब्रेरी चली आई।हल्की-सी ठंडी हवा चल रही थी, और कैम्पस की रौनक अब थमने लगी थी।पेड़ों की परछाइयाँ ज़मीन पर बिखरी थीं, और दोनों लड़कियाँ हल्के क़दमों से चलते हुए अपनी बातों में खोई हुई थीं।नायरा, अपने चिर-परिचित चुलबुले अंदाज़ में, सुबह बेस्टॉप पर हुई अयान से पहली मुलाक़ात की कहानी सुना रही थी।"…और फिर जैसे ही हवा चली, मेरा दुपट्टा उड़ के सीधा उसके चेहरे पर जा गिरा। वो कुछ बोला नहीं, बस चुपचाप दुपट्टा लौटाया... और चला गया।लेकिन वो नज़र… अल्लाह क़सम, जैसे आँखों से