दक्ष उस समय गुस्से में था उसने आव देखा ना ताव देखा उसने चंद्रा पर अपना हाथ उठा दिया चंद्रा को अपना यह अपमान बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने गुस्से मेंकहा कि आखिर हमारी गलती क्या हैयही कि तुम्हें स्त्री हूं और स्त्रियों की इस दुनिया में कोई भी जगह होने नहीं चाहिए तुम स्त्रियों की वजह ही तो हम मर्द कुछ भी नहीं कर पाते हैंमैंने अपनी मां से बचपन में ही सब कुछ बता दिया था कि मैं उनके जैसा ही और मेरी भी ख्वाहिश है उनके जैसी ही है लेकिन उन्होंने मेरी एक भी बात