प्रस्तावना कहते हैं कि जीवन में हर अंधेरी रात के बाद सवेरा होता है, लेकिन कभी-कभी रात इतनी लंबी हो जाती है कि सवेरे का इंतजार भी मुश्किल हो जाता है। यह कहानी है राजेश की - एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपने सपनों को पाने के लिए जी-जान लगा दी, लेकिन उसे पग-पग पर ठोकरें मिलीं। अध्याय 1: संघर्ष की सीढ़ियाँ "बेटा राजेश, तुम्हारी किताबें ही तुम्हारा भविष्य हैं," माँ कहती और अपनी बीमारी को छिपाकर बेटे की पढ़ाई के लिए दवाओं के पैसे भी बचा लेतीं। पिताजी दिन-रात मजदूरी करते, कभी ईंट-भट्ठे पर तो कभी खेतों में। राजेश