अवनि और युग दोनों कॉफी शॉप से बाहर निकल चुके थे। रात ठंडी थी, हवा में एक अजीब सी नमी थी, जैसे आसमान खुद भी कुछ महसूस कर रहा हो। सड़कें सुनसान थीं, लेकिन उन दोनों के बीच बातें चलती रहीं।"तुम्हारा घर यहीं पास में है?" युग ने चलते हुए पूछा।"हां, पांच मिनट की दूरी पर," अवनि ने कहा।"अकेली रहती हो?""हां… और अब आदत भी हो गई है।"युग कुछ देर चुप रहा।"तुम्हें अकेलापन पसंद है?" उसने फिर पूछा।अवनि रुकी, और एक फीकी हँसी के साथ बोली—"कभी पसंद नहीं किया… बस, मंज़ूरी दे दी। जब कोई साथ न हो, तो अकेलापन