---अग्निपुरी, स्वर्गलोक की सीमाओं पर बसा एक रहस्यमय इलाका था, जहां न देव पूर्ण रूप से प्रवेश कर सकते थे, न असुर पूरी तरह से उसे छू सकते थे। वहीं छिपा था *"त्रैलोक्य वलय"*, एक ऐसा रत्न जिसमें देवत्व और दैत्यत्व दोनों की ऊर्जा समाहित थी। इसी वलय की रक्षा करती थी — *अप्सरा नंदनी*, जो नृत्य में माहिर थी, पर युद्ध में भी असाधारण थी।उधर *दैत्यराज कालवक्र* — अंधकार का पुत्र, जो 500 वर्षों की तपस्या के बाद उस वलय को पाने निकला था। वह अप्सरा नंदनी की सुंदरता और शक्ति दोनों का भूखा था। लेकिन त्रैलोक्य वलय को