सपनों की उड़ान

आसमान में काले बादल घिर आए थे, जैसे प्रकृति भी रोहन के मन की उदासी को महसूस कर रही हो। वह अपनी छत पर खड़ा था, आंखों में आंसू और हाथ में पिता की दुकान का कर्ज चुकाने का नोटिस। "कैसे पूरा करूंगा अपना सपना?" वह सोचने लगा। उसके पिता गंभीर बीमारी के कारण दुकान चला नहीं पा रहे थे और अब उस पर लाखों रुपये का कर्ज चढ़ चुका था।मां की आवाज आई, "रोहन बेटा, खाना खा लो।""आता हूंँ मां," कहकर रोहन नीचे तो चला गया, लेकिन उसके दिल में चिंता का सैलाब उमड़ रहा था।अगले दिन कॉलेज में