वर्ष था 2014 पूरे देश में बदलाव की बयार थी। भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ़ जनता में आक्रोश था। और तभी सत्ता के शिखर पर बैठने की होड़ में उभरा एक नया नाम — अश्वराज सिंह, जो खुद को "जनता का सेवक" कहता था। पर किसी को नहीं पता था कि इस चेहरे के पीछे छिपा था अंधकार, हिंसा और रहस्य का समंदर।भाग 1: परिवर्तन या छलावाअश्वराज की पार्टी ने जब 2014 में भारी बहुमत से सरकार बनाई, तो उसे लोकतंत्र की जीत बताया गया। लेकिन राजधानी शिवगढ़ की अंधेरी गलियों में कुछ और ही पक रहा था। सत्ता