MUZE जब तू मेरी कहानी बन गई - 4

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Chapter 4 : जब दिल ने मना किया , लेकिन धड़कनों ने सुना नहीं   मुंबई की बारिशें अजीब होती हैं — न जाने कब आकर सब कुछ भिगो जाती हैं , और न जाने कब चली जाती हैं कुछ अधूरी सी कहानियाँ छोड़कर। उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ   काव्या और आरव की दोस्ती अब एक ऐसे मोड़ पर थी जहाँ शब्द कम और भावनाएँ ज़्यादा बोलने लगी थीं । फार्महाउस की वो शाम उनके दिलों में कहीं गहराई तक उतर चुकी थी । लेकिन अब कहानी में सिर्फ सुकून नहीं था , अब डर भी था