मुंबई की शाम थी। शहर की हलचल में गुम, अवनि अपनी स्कूटी चला रही थी, और उसकी आँखों में वही चुप्प सी तन्हाई थी जो हमेशा उसके साथ होती। उसके दिल में कभी किसी की जगह नहीं बन पाई थी। दुनिया ने उसके लिए कई इशारे किए थे, पर वह कभी किसी से खुलकर नहीं मिली। वह किसी से जुड़ने की कोशिश नहीं करती थी, बस अपने ही छोटे से दायरे में खुश रहने की कोशिश करती थी।उस दिन, रास्ते में अचानक एक काले रंग की शानदार कार उसके सामने आकर रुक गई। कार के शीशे में एक चेहरा था,