रात का सन्नाटा और बढ़ती बेचैनीडिनर खत्म होने के बाद सुषमा मासी ने कहा, "अच्छा, अब तुम सब थोड़ा आराम कर लो। दिनभर बहुत कुछ हुआ है।"सबने सहमति में सिर हिलाया। विशाल भी उठने ही वाला था, लेकिन तभी उसकी नजर खिड़की से बाहर पड़ी।सड़क पर हल्का अंधेरा था। स्ट्रीट लाइट की रोशनी में सब कुछ शांत दिख रहा था, लेकिन उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई परछाई वहाँ मौजूद हो।उसने ध्यान से देखा, लेकिन कुछ नहीं था।"क्या यह मेरा भ्रम था?" उसने खुद से सवाल किया।लेकिन उसके भीतर का जासूस कह रहा था—कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।अब वह