कबीर, दानिश के केबीनेट मेंऑफिस के केबिन में हल्की रोशनी फैली हुई थी। लैपटॉप की स्क्रीन पर लगातार बदलते ग्राफ और नंबरों के बीच दानिश की उंगलियां तेजी से कीबोर्ड पर चल रही थीं। इसी बीच, किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। बिना देखे ही, दानिश हल्की मुस्कान के साथ बोला,"आज ऑफिस आने की कैसे सोची?"पीछे से आवाज आई, "कुछ खास नहीं, मॉम की वजह से... कल से मुझे परेशान कर रही थीं कि मुझे आपका हाथ बंटाना चाहिए। आपकी कितनी फिक्र करती हैं वो। वैसे, आपको बिना देखे कैसे पता चला कि मैं हूँ?"दानिश ने सिर उठाए बिना