रीमा 15 दिन नैना के पास माँ के घर पर रही थी।वो दोनों बहनें एक-दूसरे के और भी करीब आ गई थीं —लेकिन अब रीमा का मन कह रहा था कि उसे अपने असली घर लौटना चाहिए।जहाँ से उसकी ज़िंदगी शुरू हुई थी… और जहाँ उसे खुद को फिर से खड़ा करना था।एक सुकून भरी सुबह —रीमा ने नैना से विदा ली।दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया, आँखों में हल्की नमी थी, लेकिन इस बार कोई दर्द नहीं —सिर्फ़ हिम्मत और उम्मीद थी।नैना (मुस्कुराते हुए):"दीदी, अब खुद को कभी कमजोर मत समझना।और याद रखना — मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"रीमा