जब मैंने लिखना शुरू किया, तब मुझे लगता था कि लोग मेरे शब्दों को पढ़ेंगे और तारीफ करेंगे। मैं कल्पना करता था कि हर टिप्पणी में प्रशंसा होगी, हर प्रतिक्रिया में अपनापन होगा। लेकिन धीरे-धीरे समझ में आया कि लिखना केवल वाहवाही पाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक संवाद की शुरुआत है—और हर संवाद में केवल सहमति नहीं होती।मेरा एक प्रिय मित्र हैं , जो बहुत अच्छा लिखता है—दिल से, सच्चाई से। पर उसने लिखना छोड़ दिया। वजह सिर्फ़ इतनी थी कि उसे वो प्रतिक्रिया नहीं मिली जिसकी उसे उम्मीद थी। कुछ ने कुछ कहा ही नहीं, और