अध्याय 1: "नज़रें जो टकराईं"मुंबई की एक सर्द सुबह...समंदर की लहरें शांत थीं, लेकिन शहर के बीचोंबीच एक तूफानी शख्सियत की एंट्री होने वाली थी।काली Mercedes-Benz Maybach का दरवाज़ा खुला, और धुएं की तरह बाहर निकला एक नाम युग प्रताप सिंह। ऊँचा कद, तीखी आँखें, गुलाबी होंठ नीली आंखें छाती पर जमी हुई सिक्योरिटी टीम की मौजूदगी और एक ऐसा रौब, जिसे देखकर अच्छे-अच्छे कांप जाते थे।आज वो किसी मीटिंग के लिए नहीं निकला था। आज उसका मन बेमकसद सड़कों पर घूमने का कर रहा था। वो कभी-कभी यूँ ही लोगों को बिना डरे चलता देखना चाहता था — वो