मई की एक उमस भरी रात थी। मोहल्ले का हर इंसान AC, कूलर और पंखे के सहारे किसी तरह ज़िंदगी काट रहा था। सबने जैसे-तैसे नींद पकड़ी ही थी कि अचानक एक “ठप” की आवाज़ आई — और बिजली चली गई। ऐसा लगा जैसे किसी ने ज़िंदगी का "pause" बटन दबा दिया हो। पहले तो लोग करवट बदलते रहे, सोचते रहे शायद ये सपने में हुआ है, लेकिन जब पीठ से चादर चिपकने लगी और पसीना नदी की तरह बहने लगा, तब सबको अहसास हुआ — हां, बिजली सच में गई है!पहली चीख़ शर्मा aunty के घर से आई —