वेटिंग रूम की खिड़की से उगते सूर्य की किरणें रमन के सामने रखी टेबिल पर पड़कर फर्श को छू रही थी।सर्दी का मौसम सुबह की गुनगनी धूप सुखद लग रही थी।वेटिंग रूम में वह अकेला था।तभी वेटिंग रूम का दरवाजा खुला और एक औरत ने प्रवेश किया था।बेडौल शरीर और आंखों पर चश्मा और रमन को चेहरा कुछ जाना पहचाना लगा।कहाँ देखा है, और उसके दिमाग मे उथल पुथल मच गई और फिर अचानक उसके होठो पर नाम उभरा,"निशा।"अपना नाम सुनकर वह औरत चोंक कर सामने बैठे आदमी को देखने लगी और फिर वह भी कुछ देर तक देखने के