सुहान की ज़िंदगी में कुछ दिन वैसे ही कट रहे थे, जैसे कोई रूटीन हो ज़रा सा उबाऊ, और कुछ भी खास नहीं। वह एक छोटे से शहर में रहता था, जहां उसकी ज़िंदगी का ज्यादा हिस्सा अपने काम और अकेलेपन में बीतता। उसकी दिनचर्या कुछ इस तरह थी: सुबह जल्दी उठना, चाय बनाना, फिर घर के बगीचे में काम करना, और फिर घंटों कंप्यूटर पर बैठकर अपने काम में व्यस्त रहना।लेकिन उस दिन कुछ अलग हुआ।सुहान के पुराने घर में एक पुराना पत्र मिला था एक पत्र, जो उसने पिछले दस सालों से नहीं देखा था। यह पत्र कुछ