इंतेक़ाम - भाग 13

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वही रोमी से उसकी की सास ने काफी कहा लेकिन रोमी न एक बार भी नहीं सुनी और कहा मैं इन सब को नहीं मानती और मैं यहां किसी गुड़िया की तरह बैठी रहो और तुम सब लोग यहां मेरा तमाशा देखो ,समझ क्या रखा है तुमने मुझे जाओ यहां से,,,,,,यह सुनकर मोहल्ले की औरतें बोली कुछ भी कहो विजय की मां लेकिन यह लड़की निशा बहू की बराबरी कभी नहीं कर सकती, कहां देवी जैसी निशा बहू और कहां यह,,,,,यह सुनकर रोमी गुस्से में बोली तुम जाते हो या नहीं,,,,तब मोहल्ले के औरतें बोली अरे हमारा मन थोड़ी था