वही निशा को भी अब अपने घर वालों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था कि आगे भी बे लोग उसके साथ कुछ गलत नहीं करेंगे इसलिए उसने अपना सामान पैक किया और बड़ी बुआ के साथ चल दी ,तभी निशा की ताई जी आकर बोली हमें माफ कर दो निशा बेटी हमें अपनी गलती का एहसास है,,,तब ताई जी के ऐसा कहते ही निशा की दादी भी बोली हां बेटी मैंने तुझे कभी अपनी पोती नहीं माना हमेशा तुम्हें मनहूस मानती रही लेकिन आज तुमने जो किया उसके बाद मेरी आंखे खुल गई हो सके तो अपनी दादी और हम