मेरा रक्षक - भाग 18

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मीरा जब घर लौटी तो उसका चेहरा एकदम फीका पड़ चुका था। मन और शरीर दोनों थक चुके थे। आंखों में डर था, दिल में उलझन। कमरे में आते ही उसने दरवाज़ा बंद किया और चुपचाप पलंग पर बैठ गई। कमरे की खामोशी उसके अंदर के तूफान से बिलकुल उलट थी।आज जो उसने देखा, वो उसकी सोच से परे था। रणविजय का वो चेहरा... खून से सने हाथ, आंखों में आग, और उस खामोश गुस्से में छिपा जानवर। मीरा ने कभी उसकी ये शक्ल नहीं देखी थी। वो तो हमेशा उसे एक शांत, समझदार और गहरा इंसान समझती थी। लेकिन आज...