विवेक का शक तक्ष पर.....अब आगे...............कामनाथ उस नौकर के साथ बाहर जाते हैं बाकी सब भी उनके पीछे पीछे चल देते हैं..... लेकिन विवेक अदिति को रोक देता है....विवेक : अदिति तुम यहीं रहो....अदिति : लेकिन क्यूं विवेक ..?... मुझे भी चलना है.....विवेक : तुम यहीं रहो मां बड़ी मां और कंचन है तो यहां यही रूको.....अदिति : ठीक है विवेक....सब बाहर पहुंचते हैं..... नौकर जो रतन माली को घेरे खड़े थे कामनाथ के पहुंचने पर इधर उधर हो जाते हैं..रतन माली की हालत को देखकर सब सहम जाते हैं ....इशान : ये कैसे हुआ....?" पता नहीं छोटे मालिक...रात तक