रनविजय की आँखों के सामने अब भी मीरा का चेहरा घूम रहा था—वो आँखें, जो कभी उसे देख मुस्कराया करती थीं, आज नफ़रत से भरी हुई थीं। कैफ़े से निकलते वक़्त उसका चेहरा पत्थर जैसा हो गया था, जैसे सारी दुनिया का भार उसी पर आ गया हो। उसके साथी चुपचाप साथ चल रहे थे, लेकिन कोई भी उसकी तरफ़ देखने की हिम्मत नहीं कर रहा था।जैसे ही रनविजय ने अपने आलीशान बंगले के दरवाज़े को खोला, एक जानी-पहचानी, सुकून देने वाली मौजूदगी सामने खड़ी थी—Ms. Rosy। उनकी आंखों में स्नेह और चिंता दोनों थीं। और उन्हें देखते ही, रनविजय