आज सुबह कुछ अलग-सा था। रिया की नींद जल्दी खुल गई थी। हल्की धूप खिड़की के पर्दों से छनकर उसके कमरे में उतर रही थी। बाहर पंछियों की चहचहाहट थी, लेकिन उसके मन में अजीब-सी बेचैनी थी। कुछ अधूरा-सा लग रहा था… कुछ जो पूरा किए बिना चैन नहीं मिलेगा।रिया ने खुद से कहा, “आज नहीं टालूंगी, स्टोर रूम की सफाई आज होकर ही रहेगी।”वो कमरा जिसे घर में कोई ज़्यादा नहीं खोलता था। वहाँ पुरानी चीजें थीं—कुछ टूटे हुए खिलौने, कुछ पुराने ट्रंक, फर्नीचर और एक शांत-सी गंध जो वक़्त के साथ चुपचाप वहाँ बस गई थी। रिया ने