तेरी मेरी खामोशियां।

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"अम्मी! मेरा सफ़ेद दुपट्टा नहीं मिल रहा!"नायरा ने कमरे से आवाज़ लगाई, तो रसोई से अम्मी की सधी हुई टोन आई—"अरे! तेरी अलमारी में अगर कुछ मुक़ाम पर रखा होता, तो शायद तलाश ना करनी पड़ती।"नायरा बालों में कंघी करते हुए आईने में अपनी ही आँखों से झल्लाई।"अम्मी जान, आज का दिन बहुत अहम है… और मै ऐसे बिखरे-बिखरे से नहीं जा सकती! पहली इंप्रेशन का मामला है।"अब्बू ने अपने अख़बार के पीछे से बिना चेहरा निकाले हल्की सी तंज़ भरी मुस्कान के साथ टोका—"बेटी, कॉलेज पढ़ने जाती हो या किसी फ़िल्मी जलसे में शिरकत करने?"नायरा ने नकचढ़े लहजे में