अंधकार में एक लौ

गर्मियों की छुट्टियों की शुरुआत थी। स्कूल बंद हो चुके थे, और शहर की भागदौड़ से कुछ समय के लिए राहत मिल गई थी। माया—एक 13 साल की होशियार और जागरूक लड़की—अपने मम्मी-पापा के कहने पर दिल्ली से बिहार के एक छोटे से गाँव बसंतपुर आई थी, अपनी नानी के पास छुट्टियाँ बिताने।बसंतपुर, जहाँ मिट्टी की खुशबू थी, जहाँ गोधूलि बेला(सूर्यास्त से ठीक पहले का समय) में साइकिल की घंटियाँ और बैलों की घंटियाँ एक साथ गूंजती थीं। जहाँ नहर के किनारे बैठकर बच्चे आम के अचार के साथ रोटी खाते थे, और शाम को चौपाल पर गाँव के बड़े-बुज़ुर्ग