मेरी मंगल यात्रा

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      मैंने घड़ी में समय देखा तो रात के 12 बज रहे थे, घर में सन्नाटा था। शायद सब लोग सो गए थे।       “अब मुझे भी सोना चाहिए।” यही सोच कर मैं भी छत पर सोने के लिए आ गया।     मैंने चारों तरफ देखा तो नजर आया अंधकार, आसमान में टिमटिमाते  सितारे, और एक शान्ति। मैंने गहरी सांस लेकर आसमान की ओर देखा। जहाँ एक लाल तारा चमक रहा था और मैं सो गया।     न जाने कब मेरी आँख खुली और मैंने पाया कि मैं किसी ऊसर पर खड़ा हूँ, और दूर-दूर तक बस अंधकार है और एक जानलेवा खामोशी छाई