दिल ने जिसे चाहा - 7

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अब रुशाली की ज़िंदगी एक तय रूटीन में ढल चुकी थी — हर सुबह उठकर अस्पताल जाना, मरीज़ों की देखभाल करना, और साथ ही उन गलियारों से होकर गुज़रना जहाँ से अक्सर मयूर सर का आना-जाना होता था।अब तो उसे अस्पताल की दीवारों में भी मयूर सर की मौजूदगी महसूस होती थी। कई मरीज़ों ने मयूर सर की खूब तारीफ़ की थी —"वो बहुत ही अच्छे डॉक्टर हैं...","उनके इलाज से ही आराम मिला...","इतने समझदार और विनम्र डॉक्टर कम ही होते हैं..."रुशाली का दिल हर बार उनके नाम पर और तेज़ी से धड़कने लगता।वो सोचती —"कोई इंसान इतना संजीदा, इतना अच्छा