विहान की आहट - वंदना बाजपेयी

किसी चीज़ का जब आपको कोई नशा हो जाता है या आप किसी चीज़ के आदि हो जाते हैं तो आप उसके बिना नहीं रह पाते हैं जैसे कि मुझे चाय पीने की इस हद तक आदत लग चुकी है कि मैंने अपने कमरे में ‘चाय बिना चैन कहाँ रे’ नाम का एक कट आउट भी लगाया हुआ है। ठीक इसी तरह पिछले कुछ सालों से मेरा पढ़ने का शौक फ़िर से जागा है और मैं अमूमन एक साल में ऑनलाइन तथा ऑफलाइन मिला कर लगभग 100-105 किताबें पढ़ लेता हूँ। मेरा प्रयास रहता है कि मैं कैसे भी कर